maha kali kavach - An Overview

इत्येतत् कवचं दिव्यं कथितं तव रावणः, ये पठन्ति सदा भक्तया तेषाँ नश्यन्ति शत्रुवः । ७ ।

हमारे पौराणिक शास्त्रों में ऐसा कहा भी जाता है और ऐसा माना भी जाता है कि मां काली का निवास श्मशान में होता है और वह शव की सवारी करती है.

जिनके तीन नेत्र हैं, जिनके अनगिनत रूप हैं, जिनकी चार भुजाएँ हैं, लाल जीभ हैं तथा जो पूर्ण चंद्र के समान कांतिमान हैं। मैं ऐसा ध्यान करता हूं।

निर्भयां रक्तवदनां दंष्ट्रालीघोररूपिणीं।

ॐ ह्रीं ह्रीं रूपिणीं चैव ह्रां ह्रीं ह्रां रूपिणीं तथा ।

प्रोक्षणैर्वामपादेन दरिद्रो भवति ध्रुवम् ।।

सुरेश्वरि, घोररूपा, चंड-मुंड विनाशिनी और मुण्डमाला पहनने वाली देवी सदा मेरी रक्षा करें। (अथ मन्त्रः-)

उग्रतारा महादेवी जङ्घोरू परिरक्षतु । उग्रातारा गुदं मुष्कं च मेढ्रं च नाभिं च सुरसुन्दरी ॥ १०॥

उपकराच्या रक्कमा धनादेशाने स्विकारल्या जाणार नाहीत. रक्कम जमा करण्याकरीता चलन नमुना व सेंट्रल बँक ऑफ इंडियाच्या विविध शाखांचा तपशील या वेबसाइटवर उपलब्ध आहे.

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किसी कठिन समय जब व्यक्ति सभी ओर से हताश हो जाता है उस स्थिति में वह देवी के चरणों में जाता है। माता का व्रत रखने के लिए शनिवार माँ काली का दिन शुभ माना जाता है। नवरात्रि में जिन नियमों का पालन किया जाता है वही नियम काली माता के व्रत में मानने चाहिए।

माँ काली कवच का पाठ सभी प्रकार की तंत्र विद्याओं और बुरी शक्तियों से रक्षा करता है। अलग-अलग पुस्तकों में काली कवच का अलग-अलग रूप देखने को मिलता है, यहाँ रुद्रयामल तंत्र में वर्णित काली कवच का पाठ दिया गया है। इस कवच के अर्थ को लिखते समय अत्यंत सावधानी की गयी है, यह अर्थ लेखक के स्वविवेक और समझ के अनुसार लिखा गया है। इस अर्थ का उद्देश्य मात्र श्लोकों को समझने के लिए है। कवच के मन्त्रों के साथ अर्थ का पाठ न करें। काली कवच का पाठ तांत्रिक पूजन में किया जाता है जिसके लिए गुरु के सानिध्य में होना आवश्यक है, more info साधारण व्यक्ति को इस कवच का पाठ करने से बचना चाहिए। साधारण साधक केलिए दुर्गा चालीसाया देवीकवच ही पर्याप्त है। श्री गणेशाय नमः

इत्येत कवचं दिव्यं कथितं शम्भुना पुरा।

पर अगर मां काली क्रोधित हो गई तो पूरे ब्रह्मांड में भी उनसे बच पाना मुश्किल है.

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